छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में गंगरेल बांध के किनारे स्थित फुटहामुड़ा को रामसर साइट के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। यदि यह प्रस्ताव मंजूरी पाता है, तो यह राज्य की पहली रामसर साइट के रूप में स्थापित होगा। यहां पिछले 90 वर्षों से 82 प्रकार के स्थानीय और विदेशी पक्षियों की आमद हो रही है, जिनकी सुरक्षा अब सुनिश्चित होने की संभावना है।
गंगरेल बांध के तट पर हर वर्ष साइबेरिया, अफ्रीका, और अमेरिका से पक्षियों का एक बड़ा झुंड आता है। इसका उल्लेख 1934 में अंग्रेजों के साहित्य में भी किया गया था। अगर फुटहामुड़ा को रामसर साइट का दर्जा दिया जाता है, तो इससे पक्षियों की निगरानी और उनकी प्रजनन दर बढ़ाने में मदद मिलेगी।
रामसर साइट के लिए आवश्यक शर्तें
रामसर साइट बनने के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक हैं:
- जलाशय या तालाब का होना।
- प्रति वर्ष 20,000 से अधिक पक्षियों का आगमन।
- कुछ दुर्लभ प्रजातियों का मौजूद होना।
यदि फुटहामुड़ा को रामसर साइट का दर्जा मिलता है, तो पूरे क्षेत्र की 24 घंटे निगरानी की जाएगी, जिससे पक्षियों का शिकार रोकने और उनके आवास को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
गिधवा परसदा भी रामसर साइट की सूची में
बेमेतरा जिले के गिधवा परसदा को भी रामसर साइट के लिए प्रस्तावित किया गया है। यहां पर 200 मीटर की दूरी पर स्थित पांच जलाशय इस क्षेत्र को पक्षियों का महत्वपूर्ण ठिकाना बनाते हैं।
सर्वेक्षण के परिणाम
वन विभाग के जैव विविधता विभाग ने गंगरेल बांध और उसके आसपास के क्षेत्र का एक साल तक सर्वेक्षण किया। इस दौरान पता चला कि यहां हर साल लगभग 82 विभिन्न प्रकार के विदेशी पक्षियों का आगमन होता है। धमतरी वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष गोपीकृष्ण साहू और सचिव अमर मूलवानी ने भी अपने स्तर पर सर्वेक्षण किया, जिसमें यह जानकारी मिली कि कुछ पक्षी यहां अंडा देने के लिए भी आते हैं।
यूरोप, अफ्रीका, साइबेरिया, मंगोलिया और चीन से आने वाले पक्षियों में कैटिश प्लोवर, कॉमन ग्रीन शेंक, स्पॉटेड रेड बैंक, और कॉमन कक्कू जैसी प्रजातियां शामिल हैं।