-शैक्षणिक भ्रमण से होती है बच्चों में व्यक्तित्व का विकास
सूरजपुर/ विकासखण्ड रामानुजनगर के माध्यमिक शाला पतरापाली के 80 बच्चों ने शैक्षणिक भ्रमण किया। भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने अमृतधारा के बारे में जानकारी ग्रहण की। बच्चों को पर्यटन स्थल अमृतधारा के बारे में जानकारी देते हुए शिक्षक योगेश साहू ने बताया कि अमृतधारा जलप्रपात नवीन गठित जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के मनेन्द्रगढ़ तहसील के ग्राम लाई के समीप स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
अमृतधारा जलप्रपात हसदेव नदी पर स्थित है, लगभग 190 फीट ऊँचा और 15 फीट चौड़ा है, जहाँ भगवान् शिव का प्राचीन मंदिर स्थित है। यह क्षेत्र पांचवी अनुसूची के अंतर्गत है, जहाँ पंडो, गोंड़, बैगा, चेरवा आदि जनजातियां निवासरत है। यह झरना इस स्थान के आसपास हर साल एक प्रसिद्ध मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले की शुरुआत 1936 में कोरिया राज्य के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने की थी। यह मेला महाशिवरात्रि के त्यौहार के अवसर पर लगता है और मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।
90 फीट की ऊंचाई से गिरता है पानी अमृतधारा जलप्रपात में पानी 90 फीट की ऊंचाई से गिरता है, इतनी ऊंचाई से गिरती जलधारा की दुधिया अनुपम छटा देखते ही बनती है। आस पास के घने जंगल के बीच बना यह जलप्रपात मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है। जलप्रपात के समीप जनजातियों से बसे गांव का नाम भी अमृतधारा है, इस जलप्रपात का पुराना नाम विसवाही था जिसे बाद में कोरिया रियासत के राजा ने अमृतधारा नाम दिया। अमृतधारा जलप्रपात में साल भर पर्यटक और सैलानी आते है, जो यहां की मनमोहक दृश्य का आनंद उठाते है। अमृतधारा जलप्रपात का मनोहारी प्राकृतिक सौंदर्य किसी को भी अपनी और बरबस आकृष्ट करने में सक्षम है। जो भी यहां इसकी मनोरम छटा को देखता है, वह यहां के सौंदर्य के प्रति आकर्षित होकर रह जाता है।
अमृतधारा की जानकारी पाकर बच्चे काफी उत्साहित हुए। बच्चे शिक्षक के द्वारा बताए गए स्वरूप का भौगोलिक स्थिति स्वयं देख एवं जाँचा। साथ ही शैक्षणिक भ्रमण शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ बच्चों में व्यक्तित्व विकास, सामाजिकता एवं समरसता का संदेश प्रदान करता है। शैक्षणिक भ्रमण में प्रधानपाठक बी आर हितकर, संकुल समन्वयक जीडी सिंह, अनीता सिंह, योगेश साहू, रघुनाथ जायसवाल एवं रसोईयो का महत्वपूर्ण योगदान रहा।