कांकेर जिले को इस वर्ष “जल अवार्ड” से सम्मानित किया गया है, जो जल संरक्षण और प्रबंधन में इसके उत्कृष्ट कार्यों को मान्यता देता है। यह पुरस्कार उन प्रयासों को दर्शाता है, जिन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पिछले वर्ष, कांकेर ने पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा के पानी को रोकने और संचित करने के लिए 277 तालाबों का निर्माण किया। इस पहल का उद्देश्य न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करना था, बल्कि किसानों को सूखे के दौरान पानी की स्थिर आपूर्ति भी सुनिश्चित करना था।
कृषि में वृद्धि और पलायन में कमी
तालाबों के निर्माण के बाद, स्थानीय किसानों ने अपनी कृषि उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि की है। अब वे वर्ष भर अपनी ज़मीन पर खेती कर सकते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक स्थिरता मिली है। इसके परिणामस्वरूप, कई परिवार जो पहले सूखे के कारण काम की तलाश में पलायन कर जाते थे, अब अपने गांवों में रहने का निर्णय ले चुके हैं।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि: “यह पहल न केवल जल संकट का समाधान है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के विकास में भी सहायक है। हम ग्रामीण विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखेंगे।”
समुदाय का योगदान
स्थानीय समुदाय ने भी इस पहल में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जिससे सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता बढ़ी है। तालाबों का रखरखाव और जल प्रबंधन स्थानीय निवासियों द्वारा किया जा रहा है, जिससे उनमें स्वामित्व की भावना विकसित हुई है।
निष्कर्ष
कांकेर जिले की इस सफल जल संरक्षण पहल ने न केवल पर्यावरण को संरक्षित किया है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास को भी प्रेरित कर रहा है। “जल अवार्ड” प्राप्त करके, कांकेर ने यह साबित कर दिया है कि स्थायी विकास के लिए सामुदायिक सहयोग और नवाचार आवश्यक हैं।